दुनिया का हर चौथा बच्चा भरपेट खाना नहीं खा पा रहा, हैरान कर देंगे आंकड़े, देखें कहां खड़ा है भारत

नई दिल्ली

 फूड सिक्योरिटी के मामले में भारत दुनिया का 8वां सबसे खराब देश है. साउथ एशिया में अफगानिस्तान के बाद सबसे बदतर स्थिति भारत की ही है.  यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. UNICEF 2024 बाल पोषण रिपोर्ट, 'Child Food Poverty : बचपन के शुरुआती दिनों में पोषण का अभाव' रिपोर्ट से पता चला है कि भारत उन 20 देशों में से एक है, जहां 2018-2022 तक 65% बच्चों को जरूरी पोषक आहार नहीं मिल पा रहा है. जबकि दुनिया में हर चौथा बच्चा भूख से बिलख रहा है. जानिए क्या कहती है यूनिसेफ की रिपोर्ट और भारत में बच्चों की स्थिति कितनी गंभीर है…

किस देश में चाइल्ड प्रॉवर्टी सबसे ज्यादा
यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, भारत में चाइल्ड पॉवर्टी 40 प्रतिशत है, जो हाई लेवल पर है. उससे पहले सोमालिया (63%), गिनी (54%), गिनी-बिसाऊ (53%), अफगानिस्तान (49%), सिएरा लियोन (47%), इथियोपिया (46%) और लाइबेरिया (43%) है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बड़ी संख्या में बच्चों को खाना तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. पाकिस्तान की बात करें तो वहां का आंकड़ा 38% है, जबकि चीन 10% पर है.

साउथ एशिया में दूसरा सबसे खराब देश
गंभीर बाल खाद्य गरीबी में 40 प्रतिशत के अलावा भारत के 36 प्रतिशत बच्चे 'मध्यम बाल खाद्य गरीबी' (Moderate Child Food Poverty) की चपेट में हैं. इस हिसाब से दोनों का आंकड़ा 76 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, जो बताता है कि दक्षिण एशिया में भारत अफगानिस्तान के बाद दूसरा सबसे खराब देश है. जहां गंभीर बाल खाद्य गरीबी 49% और मध्यम बाल खाद्य गरीबी 37% है. दक्षिण एशिया में बाकी देशों की स्थिति भारत से बेहतर है.

हर चौथे बच्चे को नहीं मिल रहा भरपेट खाना
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 5 साल से कम उम्र के करीब 18.1 करोड़ बच्चे गंभीर खाद्य गरीबी (Food Poverty) की चपेट में हैं. पूरी दुनिया में करीब 27% बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें पोषक आहार (Nutritious Food) नसीब नहीं हो पा रहा है. इसका मतलब हर चौथा बच्चा भूख की कमी यानी कुपोषण का शिकार है, जिसका असर उसकी शारीरिक और मानसिक ग्रोथ पर पड़ रहा है.

UNICEF के अनुसार गंभीर बाल खाद्य गरीबी किसे कहते हैं
यूनिसेफ की तरफ से कहा गया है कि छोटे बच्चों को हर दिन 8 तरह के फूड्स में से कम से कम 5 जरूर खाने में देना चाहिए. अगर इससे कम आहार मिलते हैं तो वे गंभीर खाद्य गरीबी में आते हैं. इन फूड्स में  मां का दूध, अनाज, जड़ें (गाजर, चुकंदर, आलू, लहसुन), कंद और केले, दालें (मेवे और बीज), डेयरी प्रोडक्ट्स, मांस (मुर्गी और मछली), अंडे, विटामिन ए से भरपूर फल और सब्जियां और अन्य फल-सब्जियां शामिल हैं.

खाद्य गरीबी में 44 करोड़ बच्चे
यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 100 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले 5 साल से कम उम्र वाले करीब 44 करोड़ बच्चे खाद्य गरीबी से जूझ रहे हैं, यानी उन्हें रोजना 5 तरह के पोषण आहार वाले फूड्स नहीं मिल रहे हैं. इनमें से 18.1 करोड़ बच्चे गंभीर खाद्य गरीबी में हैं, जो रोजाना दो खाद्य समूहों वाला खाना ही ले पा रहे हैं.

वहीं, कई देश ऐसे भी हैं जो अब भी महामारी के असर से पूरी तरह नहीं उबरे हैं। ऊपर से बढ़ते टकराव, जलवायु परिवर्तन और विषम परिस्थितियों के चलते स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। कई देशों में पोषण तो दूर की बात बच्चों को भरपेट भोजन भी नहीं मिल रहा। इसकी वजह से न केवल यह बच्चे बल्कि उनके परिवार भी गरीबी और अभावों के भंवर जाल में फंस जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, खाद्य निर्धनता के कुल मामलों में से करीब आधे ऐसे परिवारों में दर्ज किए गए हैं जो पहले ही गरीबी से जूझ रहे हैं।

बाजारों में स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक खाद्य पदार्थों का बढ़ता बोलबाला भी इसके पीछे की एक वजह है। ऊपर से खाद्य कंपनियों जिस तरह से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग कर रही हैं वो भी बच्चों को खाद्य निर्धनता के दलदल में धकेल रहा है। देखा जाए तो बढ़ते बाजारीकरण ने सबके हाथों में फास्ट-फूड तो दिया लेकिन पोषण छीन लिया।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button